मेरे अपने व्यक्तित्व की सभी सीमाएं जैसे चटक कर टूटने लगी थीं। मेरे अपने व्यक्तित्व की सभी सीमाएं जैसे चटक कर टूटने लगी थीं।
ये समाज में अभी तक औरत की भावना को नहीं समझते और बदनामी के डर से हमें मौका मिलता है... ये समाज में अभी तक औरत की भावना को नहीं समझते और बदनामी के डर से हमें मौका मिलता...
माँ तुमपे क्या लिखूँ? ईश्वर का रूप देखा नहीं लेकिन तू नज़र आती हैं। मेरी पूजा में सबसे पहले माँ ही पू... माँ तुमपे क्या लिखूँ? ईश्वर का रूप देखा नहीं लेकिन तू नज़र आती हैं। मेरी पूजा में...
यह वही महान देश है, जहां पर माँ सीता का अपहरण अपना बना लेने के उद्देश्य से किया गया प यह वही महान देश है, जहां पर माँ सीता का अपहरण अपना बना लेने के उद्देश्य से किया ...
चाची जाने कुछ समझी या नहीं पर उठ के जरूर चली गईं। उन्हें समझ आया या नहीं, पता नहीं चाची जाने कुछ समझी या नहीं पर उठ के जरूर चली गईं। उन्हें समझ आया या नहीं, पता...
देवदार, चीड़ के लम्बे दरख़्तों की घनी छाँव में से सूरज की किरणें हीरे जैसी चमक रही थीं। ठंडी हवाओं मे... देवदार, चीड़ के लम्बे दरख़्तों की घनी छाँव में से सूरज की किरणें हीरे जैसी चमक रह...